
सन्तो की वाणी
स्वामी विवेकानन्द के विचार
swami vivekananda vichar – vivekananda quotes in hindi
सन्तो की वाणी में आपको भारत के सन्त और महापुरूषों के मुख कही हुवी व लिखे हुवे प्रवचनों की कुछ झलकियां आपके सामने रखेंगे । आप इसे ग्रहण कर आगे भी शेयर करें जिससे आप भी पुण्य के भागीदार बने ।
सोयी हुई शक्ति प्रार्थना आसानी से जाग उठती है। vivekanand-vichar
अपनी पूजा के समय परमात्मा के पितृ-भाव को स्वीकार कर लेने से ही क्या लाभ, जब हम अपने दैनिक जीवन में प्रत्येक मनुष्य को अपना भाई न मान सकें?
प्रार्थना और स्तुति प्रगति के प्रथम साधन हैं। भगवान के नाम के जप में चमत्कारी शक्ति हैं।
चाह की अनुभूति ही सच्ची प्रार्थना है, शब्द नहीं परन्तु तुममें यह देखने और प्रतीक्षा करने के लिए धैर्य होना चहिए कि तुम्हारी प्रार्थनाओं का उत्तर मिलता है या नहीं ।
चित की प्रसन्नता-उदास रहना कदापि धर्म नहीं है, चाहे वह और कुछ भले ही हो। प्रफुल्ल चित तथा हँसमुख रहने से तुम ईश्वर के अधिक समीप पहुँच जाओगे, किसी भी प्रार्थना की अपेक्षा प्रसन्न्ता के द्वारा हम ईश्वर के अधिक निकट पहुँच सकते हैं।
जननी ही शक्ति का प्रथम विकासस्वरूप हैं…. माँ नाम लेने से ही शक्ति का भाव आ जाता है।… उन जगन्माता के भाव में प्रतिष्ठित होकर हम जो चाहे कर सकते हैं। वे तुरन्त ही हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देती है।
क्या प्रार्थना कोई जादू का मंत्र है जिसका जप करने से बिना कठिन श्रम किये तुमको चमत्कारिक फल प्राप्त हो जायगा? नहीं सबको कठिन श्रम करना है, सबको उस असीम शक्ति की गहराइयों में पहुँचना है। ऐसा नहीं होता कि एक व्यक्ति तो कठोर श्रम करे और दूसरा कुछ शब्दों का जप करके फलों को प्राप्त कर ले। यह विश्व एक अविच्छिन्न प्रार्थना है। यदि तुम प्रार्थना को इस अर्थ में ग्रहण करते हो तो मैं तुम्हारे साथ हूँ । शब्द आवश्यक नहीं है। मूक प्रार्थना श्रेष्ठतर है। vivekanand-vichar