आरती संग्रह विष्णु जी की आरती vishnu-ji-ki-aarti ओउम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करंे । ओउम… जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का, स्वामी दुःख…. सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का । ओउम… मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण… तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी …