लघु कहानी
चरवाहा का लोभ
motivational story-inspirational story-moral story in hindi
आज जिस प्रेरक प्रसंग prerak-prasang-hindi की बात कर रहें । वह है ‘‘चरवाहा का लोभ’’ ।
एक बार रामू नाम का चरवाहा जंगल में बकरियाँ चराने गया। शाम होते-होते तेज आँधी आई और पानी बरसने लगा। यह देखकर चरवाहा घबरा गया। उसने अपनी बकरियों और उनके बच्चों के साथ एक गुफा में आश्रम लेना चाहा, किन्तु देखा कि उससे पहले से ही कुछ जंगली भेड़े अपने बच्चों के साथ उस गुफा में बैठी हैं। यह देखकर चरवाहे ने प्रसन्न होकर सोचा, बहुत अच्छा हुआ। अब इन भेड़ो और उनके बच्चों को खुश कर इन पर अपना अधिकार जमा लूँ। फिर गाँव में मेरी धाक होगी। moral-story
यह विचार कर चरवाहे ने अपनी बकरियों व उनके बच्चों को खिलाने के लिए, दिनभर में जितना घास-फूस इकटठा किया था, वह सब जंगली भेड़ो और उनके बच्चो को खिला दिया। इस लोभ के सामने उसे अपने पालतु बकरियों और उनके बच्चों का भी ख्याल न आया। उन्हें रात भर गुफा के बाहर रहकर आँधी, पानी और सर्दी का सामना करना पड़ा।
सवेरा होने पर जब चरवाहा गुफा से बाहर निकला, तो उसने देखा कि उसकी अधिकांश बकरियाँ अपने नन्हें-नन्हें बच्चों के साथ मरी पड़ी हैं। इतने में जगली भेड़ें अपने मेमनों के साथ गुफा से बाहर आईं और जाने लगीं। चरवाहे ने उन्हें पुकार लगाई अरे बेईमान भेड़ो ! मैंने अपनी बकरियां का भोजन तुम्हें खिलाया। रातभर उन्हें छोड़कर तुम्हारा ख्याल रखा और तुम मुझे ही छोड़ कर जा रही हो ?
तभी एक बूढे़ भेड़ ने कहा- बेईमान तो तुम हो, जो आज हमें देखकर अपनी पुरानी बकरियाँ का ख्याल भूल गए। कल किसी और की खातिर हमें भुला दोगे।
चरवाहे को अब समझ आ गया कि किसी भी नई चीज का लोभ कर पुरानी वस्तु को नहीं छोड़ना चाहिए । moral-story
शिक्षा -ः नई वस्तु की उपलब्धि हेतु प्रयास करना बुरा नहीं है, किंतु उसे पुराने के त्याग की कीमत पर हासिल नहीं किया जाना चाहिए।