सन्तो की वाणी
भगवान बुद्ध की वाणी
buddha gautam ka sandesh – bhagwan buddha ki katha
सन्तो की वाणी में आपको भारत के सन्त और महापुरूषों के मुख कही हुवी व लिखे हुवे प्रवचनों की कुछ झलकियां आपके सामने रखेंगे । आप इसे ग्रहण कर आगे भी शेयर करें जिससे आप भी पुण्य के भागीदार बने ।
मनन, ध्यान और ऋद्धि
शिष्य ने कहा- हे प्रभू! मुझे मनन का उपदेश दीजिए, ताकि मैं स्वयं को उसमें लगा सकूँ और मेरा मन पवित्र भूमि के स्वर्गलोक में प्रविष्ट हो सके।
बुद्ध ने कहा – पाँच प्रकार के मनन होते हैं। bhagwan-buddha-vani
1. पहला मनन प्रेम का मनन है, जिसके अन्तर्गत तुम्हें अपने हदय को इस प्रकार- समायोजित कर लेना चाहिए कि तुम समस्त प्राणियों की समृऋद्ध और कल्याण की कामना करो और जिसमें तुम्हारे शत्रुओं के लिए सुख की कामना भी समाहित हो।
2. दूसरा मनन करूणा का मनन है, जिसमें तुम समस्त उत्पादित प्राणियों की पीड़ाओं का विचार उनके दुःखों और चिन्ताओं की स्पष्ट कल्पना के साथ इस प्रकार करते रहो कि तुम्हारी आत्मा में उनके लिए गहन करूणा का संचार हो जाए।
3. तीसरा मनन आनन्द का मनन है, जिसमें तुम दूसरों की समृद्धि की आकांक्षा करते हो और उनको आनन्दित देखकर आनन्दित होते हो।
4. चौथा मनन अपवित्रता का मनन है, जिसमें तुम व्यभिचार के दुष्परिणामों पर तथा पाप और रोगों के प्रभावों पर विचार करते हो। प्रायः क्षण का सुख भी कितना क्षुद्र होता है इसका परिणाम भी कैसा मर्मान्तक होता है।
5. पाँचवा मनन प्रशान्ति का मनन है, जिसमें तुम प्रेम और घृणा, आतंक और उत्पीड़न, धन और दरिद्रता से ऊपर उठ जाते हो और स्वयं अपने भाग्य पर तटस्थ प्रशान्ति और पूर्ण धैर्य से विचार करते हो। bhagwan-buddha-vani