Home Vrat Katha आखा तीज (अक्षय तृतीया) / akshaya tritiya in hindi – akshaya tritiya ka mahatva

आखा तीज (अक्षय तृतीया) / akshaya tritiya in hindi – akshaya tritiya ka mahatva

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व्रत कथा

akshaya tritiya in hindi – akshaya tritiya ka mahatva

आखा तीज (अक्षय तृतीया)

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तीज को आखा तीज के नाम से जाना जाता है। इस दिन का किया हुआ दान, यज्ञ, तप, जप अक्षय फलदायक माना जाता है. इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहते है। यदि यह सोमवार या रोहिणी नक्षत्र मे आए तो इसका फल महाफलदायक माना जाता है। इस दिन किये जाने वाले सभी कार्यो का अतिश्रेष्ठ फल् मिलता है। क्योंकि यह अबूझ मुहुर्त होता है। ब्राहा्रण से बिना पूछे ही कोई शुभ कार्य इस दिन करना चाहे, तो कर सकते है। विवाह, व्यापार, भवन निर्माण, के लिए यह अति शुभ दिन है। इसी दिन शुभ कार्य करने से मनुष्य का जीवन धन-धान्य हो जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त ताप नष्ट हो जाता है। akshaya-tritiya-hindi

इसी दिन से सतयुग का आरम्भ होता है। इस दिन श्री बद्रीनारायण जी के पट खुलते है। नर-नारायण जीने भी इसी दिन अवतार लिया था। श्री परशुराम जी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था। वृन्दावन के बाके बिहारी जी के मंदिर मे केवल इसी दिन श्री भगवान जी के चरण-दर्शन हुए थे। अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से उनके चरण ढके रहते है।

(इस दिन भी द्धितीया के जैसे ही खीचडे व इमली के पानी का भोग लगाया जाता है। वैसी ही सब्जी बनाई जाती है मटकी की पूजा व कुन्जे भरे जाते है। यह खीचड़ा सुबह के समय बनाया जाता है। सभी प्रेम-भावना से मिलकर एक साथ भोजन करते है।)
कथा
एक बार युधिष्ठिर जी व श्री कृष्ण जी बैठे हुए थे तो युधिष्ठिर जी ने इस अक्षय तृतीया का महत्व पूछा – तो श्री कृष्ण कहने लगे – यह तिथि बहुत पुण्यों को देने वाली है। इस दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर यज्ञ, दान, तप, जाप आदि करने से महान पुण्य प्राप्त होता है। इसी दिन सतयुग का आरम्भ हुआ था।

प्राचीन काल मे एक गरीब सदाचारी तथा देवताओं मे भक्ति रखने वाला वैश्य रहता था। वह अपनी गरीबी व तंगी से बहुत परेशान रहता था। एक बार किसी ने उसे इस अक्षय तृतीया की विधि-विधान से पूजा करने की सलाह दी। उसने बताये अनुसार गंगा जी में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की एवं श्रद्धानुसार दान, तप, होम भी किया।

इसी अक्षय-तृतीया के प्रभाव से वह बडा धनी और प्रतापी राजा बन गया। सम्पत्ति युक्त होनें पर भी वह कभी धर्म के रास्ते से विचलित नहीं हुआ। और हमेशा अक्षय-तृतीया की पूजा करता रहा तथा कुशावती राजा के नाम से प्रसिद्ध हो गया। akshaya-tritiya-hindi

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