Home Santo Ki Vani भगवान महावीर की वाणी / bhagwan mahiver ji ki vani – mahavir ji ke vachan

भगवान महावीर की वाणी / bhagwan mahiver ji ki vani – mahavir ji ke vachan

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भगवान महावीर की वाणी / bhagwan mahiver ji ki vani – mahavir ji ke vachan

सन्तो की वाणी

भगवान महावीर की वाणी

bhagwan mahiver ji ki vani -mahavir ji ke vachan

सन्तो की वाणी में आपको भारत के सन्त और महापुरूषों के मुख कही हुवी व लिखे हुवे प्रवचनों की कुछ झलकियां आपके सामने रखेंगे । आप इसे ग्रहण कर आगे भी शेयर करें जिससे आप भी पुण्य के भागीदार बने ।    

निर्वाण

मोक्षावस्था का शब्दों में वर्णन सम्भव नहीं है, क्योंकि वहाँ शब्दों की प्रवृति नहीं हैं। न वहाँ तर्क का ही प्रवेश है, क्यांकि वहाँ मानस व्यापार सम्भव नहीं है। मोक्षावस्था संकल्प-विकल्पातीत है। साथ ही समस्त मल कलंक से रहित होने से वहाँ ओज भी नहीं है। रगातीत होने के कारण सातवे नरक तक की भुमि का ज्ञान होने पर भी वहाँ किसी प्रकार का खेद नहीं है। mahiver-ji-vani-3

जहाँ न दुःख है न सुख, न पीड़ा है न बाधा, न मरण है न जन्म, वहीं निर्वाण है।

जहाँ न इन्द्रियाँ हैं न उपसर्ग, न मोह है न विस्मय, न निद्रा है न तृष्णा और न भूख, वहीं निर्वाण है।

जहाँ न कर्म है न नोकर्म, न चिन्ता है न आर्तरौद्र ध्यान, न धर्मध्यान है और न शुक्लध्यान, वहीं निर्वाण है।

वहाँ अर्थात मुक्तजीवों में केवलज्ञान, केवलदर्शन, केवलसुख, केवलवीर्य, अरूपता, अस्तित्व और सप्रदेशत्व ये गुण होते हैं।

जिसे महर्षि ही प्राप्त करते है, वह स्थान निर्वाण है अबाध है, सिद्धि है, लोकाग्र है, क्षेम शिव और अनाबाध है। mahiver-ji-vani-3

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