व्रत कथा
सफला एकादशी
safla-ekadashi-vrat-in-hindi पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है इस व्रत को करने से सब कार्य सफल होते हैं। इस व्रत को करने वाले को प्रात स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए। अगरबत्ती नारियल, सुपारी, लोंग, आंवला, अनार आदि से भगवान का विधिवत पूजन करना चाहिए। रा़ित्र जागरण कर भजन कीर्तन करने चाहिए।
कथा
राजा महिष्मन के चार बेटे थे। बड़ा बेटा लुम्पक बड़ा दुष्ट और पापी था। वह पिता के धन को कुकर्मांे में नष्ट करता रहता था। राजा के समझाने पर भी वह नहीं माना तो राजा ने उसे देश निकाला दे दिया। फिर भी उसकी वह लूटपाट की आदत नहीं छूटी। एक बार उसे दो दिन तक भोजन नहीं मिला। भोजन की तलाश मं एक साधु की कुटिया में उसने चोरी करने का प्रयास किया। साधु महात्मा ने उसे देख लिया, उसी दिन सफला एकादशी थी। महात्मा ने उसका सत्कार किया और उसे कुछ खाने का दिया।safla-ekadashi-vrat-in-hindi
महात्मा के इस स्नेह भरे व्यवहार को देखकर लुम्पक की बु़ि़द्र परिवर्तित हो गई। उसने सोचा कि में भी एक मनुष्य हंू पर कितना दुष्ट और पापी हूं। उसे अपनी भूल की अनुभूति हुई और वह साधु के चरणों में गिर पडा़।
साधु ने उसे अपना चेला बनाकर वहीं रख लिया। धीरें धीरें उसके चऱित्र से सारे दोष दूर हो गये। वह महात्मा के बताये अनुसार सफला एकादशी का व्रत भी करने लगा। अब महात्मा ने असली रुप प्रकट कर दिया।
महात्मा के वेश में राजा महिष्मन ही थे। पुत्र को सद्गुणों से युक्त जानकर राजभवन ले गये और राजकार्य सौंप दिया। प्रजा भी उसके कार्य को देखकर हैरान हो गई थी। उसके राज्य का विकास करके आदर्श प्रस्तुत किया। लुम्पक आजीवन सफला एकादशी का व्रत करता रहा। safla-ekadashi-vrat-in-hindi