प्रभु का सच्चा सेवक
एक लघु कहानी
आज जिस प्रेरक प्रसंग prerak-prasang-2-2 की बात कर रहें । वह है प्रभु का सच्चा सेवक ।
एक बार सीता माता ने हनुमानजी की निष्काम सेवा से प्रसन्न हो उन्हें अपने गले का हीरों का हार इनाम में दिया । हनुमानजी उस हार को लेकर एक तरफ गये और हार में से एक-एक हीरा निकाल-निकालकर । उन्हें फोड़कर, टुकड़ो को हाथ में ले आकाश की और मुह कर देखने लगे । लोगों ने जो देखा, तो वे खिलखिलाकर हँसने लगे ।
आखिर उनमें से एक ने हनुमानजी से इस बारें में पूछा, तो उन्होने उत्तर दिया, ‘‘मैं हीरों को फोड़-फोड़कर यह देख रहा हूँ । कि इनमें कहीं राम है या ये बिना राम के ही है । यदि इनमें राम हों, तो मेरे योग्य है, अन्यथा ये निस्सार हैं ।’’ और तब लोगों को हनुमानजी के सच्चे सेवाभाव की प्रतीति हुई और उनके मुख से ‘धन्य-धन्य’ शब्द निकल पड़े ।
अगर परमपिता परमात्मा की निःस्वार्थ व सच्चे भाव से सेवा प्रार्थना की जाये तो । वह भी अपने भक्त की हर परेशानी में सहायता को तत्पर रहतें है । prerak-prasang-2-2