सन्तो की वाणी
स्वामी विवेकानन्द के विचार
swami vivekananda vichar – vivekananda quotes in hindi
सन्तो की वाणी में आपको भारत के सन्त और महापुरूषों के मुख कही हुवी व लिखे हुवे प्रवचनों की कुछ झलकियां आपके सामने रखेंगे । आप इसे ग्रहण कर आगे भी शेयर करें जिससे आप भी पुण्य के भागीदार बने ।
अभयवाणी
संसार में जब आया है, तब एक स्मृति छोड़कर जा। वरना पेड़-पत्थर भी तो पैदा तथा नष्ट होते रहते हैं। उसी प्रकार जन्म लेने और मरने की इच्छा क्या मनुष्य की भी कभी होती है ? swami-vivekananda-bhajan
तुम संसार के सभी देवताओं के निकट रो चुके हो। क्या उससे क्लेश का अन्त हुआ ? भारत की जनता छः करोड देवताओं के निकट रोती-कलपती है, और फिर भी कुत्तों की मौत मरती रहती हैं। ये देवता हैं कहाँ ? …
जब तुम सफल हो चुकते हो, तब ये देवता तुम्हारी सहायता करने आते हैं। अतः लाभ क्या है? अन्त तक हिम्मत न हारो…. अन्धविश्वासों के आगे यह घुटने टेकना, स्वयं अपने मन के हाथों अपने को बेच देना, मेरी आत्मा, तुम्हे शोभा नहीं देता। तुम असीम अमर, अनादि हो। तुम असीम आत्मा हो! इस कारण दास होना तुम्हें शोभा नहीं देता।…. उठो! जागो! खड़े हो और लड़ो!
आज हमें जिसकी आवश्यकता है, वह है- लोहे के पुटटे और फौलाद के स्नायु। हम लोग बहुत दिन रो चुके। अब और रोने की आवश्यकता नहीं। अब अपने पैरों पर खड़े हो जाओ और मर्द बनो।
यह संसार कायरों के लिए नहीं है। पलायन की चेष्टा मत करो। सफलता अथवा असफलता की चिन्ता मत करे।
यदि हदय और बुद्धि में विरोध उत्पन्न हो, तो तुम हदय का अनुसरण करो।
अपने को निर्धन मत समझो। धन बल नहीं साधुता एवं पवित्रता ही बल है। आओ, देखो, सारे संसार में यह बात कितनी सही उतरती है।
तुम जो कुछ बल या सहायता चाहों, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है। अतएव इस ज्ञानरूप शक्ति के सहारे तूम बल प्राप्त करो और अपने हाथों अपना भविष्य गढ़ डालो।
साहसी बनो, – मनुष्य सिर्फ एक बार ही मरा करता है। मेरे शिष्य कभी भी किसी भी प्रकार से कायर न बनें।
अपने भाइयों के विचारों को मान लेने के लिए सदैव प्रस्तुत रहो और उनसे हमेशा मेल बनाये रखने की कोशिश करो।
हमें ऐसे धर्म की आवश्यकता है, जिससे हम मनुष्य बन सकें। हमें ऐसे सिद्धान्तों की जरूरत है, जिससे हम मनुष्य हो सकें। हमें ऐसी सर्वागसम्पन्न शिक्षा चाहिए, जो हमें मनुष्य बना सके। swami-vivekananda-bhajan