व्रत कथा
वैकुण्ठ चतुर्दशी की कथा एवम पूजा विधि
vaikuntha-chaturdashi-vrat-katha कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुण्ठ चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन प्रातः स्नान आदि करके शुद्ध मन से पुष्प, धूप दीप, चन्दन आदि पदार्थों से भगवान की आरती करते हैं तथा भोग लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन (कार्तिक शुक्ला चतुर्दशी को) भगवान के आदेश के अनुसार स्वर्ग के द्वार खुले रहते हैं। आज के दिन विष्णु भगवानजी की पूजा करने वाला बैकुण्ठ धाम को प्राप्त करता है।
इस दिन बेर के पेड़ की भी पूजा की जाती है। साथ कपड़े या साड़ी के पल्ले से बेर के पेड़ के आसपास वाली जगह साफ करनी चाहिए और कहना चाहिए – ‘‘झाड़ा झूड़ो पाप निवाड़ो।ै’’ दो या चार तेल के दीपक भी जलाने चाहिए।
नारदजी द्वारा पूछने पर भगवान विष्णु ने कार्तिक शुक्ला की चतुर्दशी को सबसे श्रेष्ठ बताया और कहा कि इस दिन किंचित मात्र भी सच्चे मन से मेरा नाम लेकर पूजा करेगा उसको बैकुण्ठ धाम प्राप्त होगा।
कहानी –
एक बुढ़िया थी। उसके पास एक बछड़ी थी। उसका नाम कपुरणी था। कार्तिक का महीना आया तो बुढ़िया ने पुष्कर जाकर नहाने का सोचा और अपनी पड़ोसन से जाकर कहा मैं पुष्कर कार्तिक स्नान के लिए जा रही हूँ तुम मेरी बछड़ी कपूरणी को याद रख करके चारा व पानी का कुण्डा भर कर के उसके पास रोज रख देना। पड़ोसन रोज उस बछड़ी को चारा-पानी डालती। एक दिन पड़ोसन बछड़ी को चारा व पानी देना भूल गई।
उधर बछड़ी को चारा-पानी नहीं मिलने के कारण वह बेचैन हो गई और पास ही में बनी पानी की कुण्डी में गिर गई। उस दिन बैकुण्ठ चतुर्दशी का दिन था। कुछ दिनों बाद बुढ़िया पुष्कर से वापस लौटी और पड़ोसन से पूछने लगी कि मेरी कपूरणी कहां है? कहीं दिखाई नहीं दे रही।
तब पड़ोसन कहने लगी, ‘‘वो तो इस कुण्ड में गिरकर मर गई।’’ तब बुढ़िया ने पूछा कि कपूरणी कितने दिन कार्तिक नहाई है? तब पड़ोसन ने कहा कि यह तो एक बैकुण्ठ चौदस ही नहाई है। तब बुढ़िया ने कहा कि इस दिन स्नान करने से उसका पिछले जन्म का पाप समाप्त हो गया है।
आगे जाकर कपूरणी ने एक राजा के घर जन्म लिया। हे भगवान ! कपूरणी को जैसे गति मिली वैसी सबको देना। (कार्तिक स्नान अगर महीना भर नहीं कर सकते हैं तो कार्तिक शुक्ला चतुर्दशी को जरूर नहाना चाहिए। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु अपने भक्तों के लिए स्वर्ग के द्वारा खुले रखते हैं।) खोटी हो तो खरी मानना अधूरी हो तो पूरी मानना। vaikuntha-chaturdashi-vrat-katha