सन्तो की वाणी
स्वामी विवेकानन्द के विचार
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सन्तो की वाणी में आपको भारत के सन्त और महापुरूषों के मुख कही हुवी व लिखे हुवे प्रवचनों की कुछ झलकियां आपके सामने रखेंगे । आप इसे ग्रहण कर आगे भी शेयर करें जिससे आप भी पुण्य के भागीदार बने ।
भारत
जब तक करोड़ों भूखे और अशिक्षित रहेंगे, तब तक मैं प्रत्येक उस आदमी को विश्रवासघातक समझूँगा, जो उनके खर्च पर शिक्षित हुआ है, परन्तु जो उन पर तनिक भी ध्यान नहीं देता ! वे लोग जिन्होंने गरीबों को कुचलकर धन पैदा किया है और अब ठाट-बाट से अकड़कर चलते हैं, यदि उन बीस करोड़ देशवासियों के लिए जो इस समय भूखे और असभ्य बने हुए हैं, कुछ नहीं करते, तो वे घृणा के पात्र हैं। vivekananda-speech-hindi
मैं अपने देशवासियों से कहता हूँ कि अब तक जो तुमने किया, सो अच्छा ही किया है, अब इस समय और भी अच्छा करने का मौका आ गया है।
हमारे राष्ट्र में एक प्रकार के भयानक रोग का बीज समा रहा है, और वह है प्रत्येक विषय को हँसकर उड़ा देना, गाम्भीर्य का अभाव, इस दोष का सम्पूर्ण रूप से त्याग करो। वीर बनो, श्रद्धा सम्पन्न होओ, और सब कुछ तो इसके बाद आ ही जायेगा।
तमोगुण से हमारा देश छाया हुआ है- जहाँ देखो वहीं तमः रजोगुण चाहिए, उसके बाद सत्त्वः वह तो अत्यन्त दूर की बात है।
स्वयं कुछ करना नहीं और यदि दूसरा कोई कुछ करना चाहे, तो उसका मखौल उड़ाना हमारी जाति का एक महान दोष है और इसी से हमारी जाति का सर्वनाश हुआ है। हदयहीनता तथा उद्यम का अभाव सब दुःखों का मूल है। अतः उन दोनों को त्याग दो। किसके अन्दर क्या है, प्रभू के बिना कौन जान सकता है? सभी को अवसर मिलना चाहिए। आगे प्रभू की इच्छा।
हमारे देश के लिए इस समय आवश्यकता है, लोहे की तरह ठोस मांस-पेशियों और मजबूत स्नायुवाले शरीरों की । आवश्यकता है इस तरह के दृढ़इच्छा-शक्ति सम्पन्न होने की कि कोई उसका प्रतिरोध करने में समर्थ न हो।
आवश्यकता है ऐसी अदम्य इच्छा-शक्ति की, जो ब्रहमाण्ड के सारे रहस्यों को भेद सकती हो। यदि यह कार्य करने के लिए अथाह समुद्र के मार्ग में जाना पडे़, सदा सब तरह से मौत का सामना करना पड़े, तो भी हमें यह काम करना ही पडे़गा। यही हमारे लिए परम आवश्यक है।
भाई, बोलो कि भारत की मिटटी मेरा स्वर्ग है, भारत के कल्याण में मेरा कल्याण है, और रात-दिन कहते रहो कि – हे गौरीनाथ! हे जगदम्बे! मुझे मनुष्यत्व दो, माँ मेरी दुर्बलता और कापुरूषता दूर कर दो मुझे मनुष्य बनाओ।
आगामी पचास वर्ष के लिए यह जननी जन्मभूमि भारतमाता ही मानो आराध्य देवी बन जाय।….. अपना सारा ध्यान इसी एक ईश्वर पर लगाओ, हमारा देश ही हमारा जाग्रत देवता है। vivekananda-speech-hindi