सन्तो की वाणी
स्वामी विवेकानन्द के विचार
swami vivekananda vichar – vivekananda quotes in hindi
सन्तो की वाणी में आपको भारत के सन्त और महापुरूषों के मुख कही हुवी व लिखे हुवे प्रवचनों की कुछ झलकियां आपके सामने रखेंगे । आप इसे ग्रहण कर आगे भी शेयर करें जिससे आप भी पुण्य के भागीदार बने ।
जितने दिन जीना है, उतने दिन सीखना है। पर यह एक बात अवश्य ध्यान में रख लेना की है कि जो कुछ सीखना है, उसे अपने साँचे में ढाल लेना है। अपने असल तत्त्व को सदा बचाकर फिर बाकी चीजे सीखनी होंगी। vivekananda-vani-2
औरो से उत्तम बातें सीखकर उन्नत बनों जो सीखना नहीं चाहता, वह तो पहले ही मर चुका है।
सारी शिक्षा का ध्येय है मनुष्य का विकास।
जो शिक्षा साधारण व्यक्ति को जीवनसंग्राम मे समर्थ नहीं बना सकती, जो मनुष्य में चरित्र-बल, पर-हित भावना तथा सिंह के समान साहस नहीं ला सकती, वह भी कोई शिक्षा है? जिस शिक्षा के द्वारा जीवन में अपने पैरों पर खड़ा हुआ जाता है, वही शिक्षा हैं।
शिक्षा किसे कहते है? क्या वह पठन-मात्र है? नहीं क्या वह नाना प्रकार का ज्ञानार्जन है? नहीं, यह भी नहीं! जिस संयम के द्वारा इच्छा-शक्ति का प्रवाह और विकास वश में लाया जाता है और वह फलदायक होता है, वह शिक्षा कहलाती है।
मैं धर्म को शिक्षा का अन्तरतम अंग समझता हूँ … ध्यान रखिए कि धर्म के विषय में मैं अपना अथवा किसी दूसरे की राय की बात नहीं कहता।
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों का सामंजस्य कर सकें, वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है। vivekananda-vani-2