सन्तो की वाणी
स्वामी विवेकानन्द के विचार
swami vivekananda vichar – vivekananda quotes in hindi
सन्तो की वाणी में आपको भारत के सन्त और महापुरूषों के मुख कही हुवी व लिखे हुवे प्रवचनों की कुछ झलकियां आपके सामने रखेंगे । आप इसे ग्रहण कर आगे भी शेयर करें जिससे आप भी पुण्य के भागीदार बने ।
कर्तव्य भाग 2
भविष्य में क्या होगा, इसी चिन्ता में जो सर्वदा रहता है, उससे कोई कार्य नहीं हो सकता। इसलिए जिस बात को तू सत्य समझता है, उसे अभी कर डाल भविष्य में क्या होगा, क्या नहीं होगा इसकी चिन्ता करने की क्या आवश्यकता ? vivekananda-vichar-2
अत्यन्त छोटा कर्म भी यदि अच्छे भाव से किया जाय, तो उससे अदभुत फल की प्राप्ति होती है । अतएव जो जहाँ तक अच्छे भाव से काम कर सके, करे।
जो यह समझते हैं कि कार्यक्षेत्र में उतरने पर अवश्य सहायता मिलेगी, वो ही कार्य सम्पादन कर सकते हैं।
आकस्मिक अवसर तो छोटे से छोटे मनुष्य को भी किसी प्रकार का बड़प्पन दे देते हैं। परन्तु वास्तव में महान तो वही है , जिसका चरित्र सदैव और सब अवस्थाओं में महान तथा एकसम रहता हैं।
हर काम को तीन अवस्थाओं में से गुजरना होता है- उपहास, विरोध और स्वीकृत। जो मनुष्य अपने समय से आगे विचार करता है, लोग उसे निश्चित ही गलत समझते हैं।
काम आरम्भ करो, शेष सब कुछ आप ही आप हो जायगा। अनन्याश्चितयन्तो मां ये जानाः पर्युपासत। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम । जो सब कुछ त्यागकर अनन्य भाव से चिन्तन करते हुए मेरी उपासना करते हैं, उन नित्यसमाहित व्यक्ति यों का योगक्षेम मैं वहन करता हूँ । – यह भगवान की वाणी है, कवि कल्पना नहीं।
जो जिस समय का कर्तव्य है, उसका पालन करना सबसे श्रेष्ठ मार्ग है।
हे वीर, अपना आत्मविकास कीजिए! जीवन क्या निद्रा में ही व्यतीत होगा? समय तो बीतता जा रहा है!
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता हैं।
शक्ति क्या कोई दूसरा देता है? वह तेरे भीतर ही मौजूद है। समय आने पर वह स्वयं ही प्रकट होगी। तू काम में लग जा, फिर देखेगा, इतनी शक्ति आयेगी कि तू उसे सँभाल न सकेगा।
जो कुछ भी हमारा कर्तव्य हो, उसे करते रहें, अपना कन्धा सदैव काम से भिड़ाये रखें। तभी अवश्य हमें प्रकाश की उपलब्धि होगी।
अपने जीवन में मैने जो श्रेष्ठतम पाठ पढे़ है, उनमें एक यह है कि किसी भी कार्य के साधनों के विषय में उतना ही सावधान रहना चाहिए, जितना कि उसके साध्य के विषय में।
तुम लोगों से जितना हो सके, करो। जब नदी में कुछ पानी नहीं रहेगा, तभी पार होंगे, ऐसा सोचकर बैठे मत रहो! vivekananda-vichar-2