सन्तो की वाणी
स्वामी विवेकानन्द के विचार
swami vivekananda vichar – vivekananda quotes in hindi
सन्तो की वाणी में आपको भारत के सन्त और महापुरूषों के मुख कही हुवी व लिखे हुवे प्रवचनों की कुछ झलकियां आपके सामने रखेंगे । आप इसे ग्रहण कर आगे भी शेयर करें जिससे आप भी पुण्य के भागीदार बने ।
अभयवाणी
हमें ऐसे धर्म की आवश्यकता हैं, जिससे हम मनुष्य बन सकें। हमें ऐसे सिद्धान्तों की जरूरत है, जिससे हम मनुष्य हो सकें। हमें ऐसी सर्वागसम्पन्न शिक्षा चाहिए जो हमें मनुष्य बना सके। vivekananda-vichar-4
यह रही सत्य की कसौटी – जो भी तुमको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से दुर्बल बनाये उसे जहर की भाँति त्याग दो, उसमें जीवन-शक्ति नहीं है, वह कभी सत्य नहीं हो सकता। सत्य तो वह है जो शक्ति दें, जो हदय के अन्धकार को दूर कर दे, जो हदय में स्फूर्ति भर दे।
कार्य क्षेत्र के विस्तार के लिए प्रयत्न करते रहो। अपने मन के हाथों अपने को बेच देना, मेरी आत्मा, तुम्हें शोभा नहीं देता! तुम असीम अमर, अनादि हो। तुम असीम आत्मा हो ! इस कारण दास होना तुम्हें शोभा नहीं देता।…. उठो! जागो! खड़े हो और लड़ो !
आज हमें जिसकी आवश्यकता हैं, वह है- लोहे के पुटठे और फौलाद के स्नायु। हम लोग बहुत दिन रो चुके। अब और रोने की आवश्यकता नहीं। अब अपने पैरों पर खड़े हो जाओ और मर्द बनो।
यह संसार कायरों के लिए नहीं है। पलायन की चेष्टा मत करो। सफलता अथवा असफलता की चिन्ता मत करो।
यदि हदय और बुद्धि में विरोध उत्पन्न हो, तो तुम हदय का अनुसरण करो।
अपने को निर्धन मत समझो। धन बल नहीं; साधुता एवं पवित्रता ही बल हैं। आओ, देखो, सारे संसार में यह बात कितनी सही उतरती है।
तुम जो कुछ बल या सहायता चाहों, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है। अतएव इस ज्ञानरूप शक्ति के सहारे तुम बल प्राप्त करो और अपने हाथों अपना भविष्य गढ़ डालों।
साहसी बनों, साहसी बनो- मनुष्य सिर्फ एक बार ही मरा करता है। मेरे शिष्य कभी भी किसी प्रकार से कायर न बनें।
अपने भाइयों के विचारों को मान लेने के लिए सदैव प्रस्तुत रहो और उनसे हमेशा मेल बनाये रखने की कोशिश करो। vivekananda-vichar-4