धन का लोभ
एक लघु कहानी
आज जिस प्रेरक प्रसंग prerak prasang की बात कर रहें । वह है धन का लोभ ।
एक बार गुरू नानक बगदाद गये हुए थे । वहाँ का शासक बड़ा ही अत्याचारी था । वह जनता को कष्ट दे-देकर उनकी सम्पत्ति को लूटकर अपने खजाने में जमा किया करता था । उसे जब मालूम हुआ कि हिन्दूस्तान से कोई साधु पुरूष आया है, तो वह नानक जी से मिलने गया ।
कुशल-समाचार पूछने के उपरान्त नानक जी ने उससे 100 पत्थर गिरवी रखने की विनती की । शासक बोला, पत्थर को गिरवी रखने में कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु आप उन्हें ले कब जायेंगे ?
आपके पूर्व ही मेरी मृत्यु होगी । मेरे मरणोपरान्त, इस संसार में आपकी जीवन-यात्रा समाप्त होने पर जब आप मुझसे मिलेंगे, तब इन पत्थरों को मुझे दे दिजिएगा । नानक बोले ।
आप भी कैसी बातें करते हैं, महाराज । भला इन पत्थरों को लेकर मैं वहाँ कैसे जा सकता हूँ ?
तो फिर जनता को चूस-चूसकर आप जो अपने खजाने में नित्य वृद्धि किये जा रहे हैं । क्या वह सब यहीं छोडेंगे ? उसे भी अपने साथ ले ही जाएँगे । बस साथ में मेरे इन पत्थरों कसे भी लेते आइएगा ।
उस दुराचारी की आँखे खुल गयी । नानक के चरणों पर गिरकर उनसे क्षमा माँगी और प्रजा को कष्ट न देने का वचन दिया ।
आज के इस युग में जहां इन्सान भौतिकता की दौड़ में सारी सीमांए लांघ चुका है । आज पैसा, पद, लालच, लोभ, मोह आदि में पड़ कर । अपने आने वाले भविष्य को निश्चित तौर पर विनाश की और ले जा रहा है ।
जबकि इन्सान जानता है कि अन्तिस समय में कुछ भी साथ नहीं जायेगा । फिर भी पैसे की इस अन्धी दौड़ में लगा हुआ । इस प्रेरक प्रसंग prerak prasang को ज्यादा-ज्यादा शेयर करें ।