एक लघु कहानी
जाको रखे साईंया मार सके ना कोई
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महाराष्ट्र सन्त राँका कुम्हार ने नित्य के समान पहले दिन तैयार किये घड़ो को आवें पर रखा | किन्तु एक घड़े में रात्रि को उनकी पालतू बिल्ली ने बच्चे जने थे | और इस बात से राँका अनभिज्ञ थे । दोपहर को जब बिल्ली वाहँ आयी, तो वह आवें के चारों और घुम-घुमकर चिल्लाने लगी । राँका जान गये कि किसी घड़े में इसके बच्चे होंगे और इस कारण यह विलाप कर रही है ।
उन्हें बड़ा ही पश्चाताप हुआ और स्वयं पर हत्या का पाप लगेगा, यह सोचकर जोर जोर से रोने लगे । वे दुःख के मारे लोटने लगे और भगवान् का स्मरण कर बोले, ‘‘हे विटठल ! जब तक इन बच्चों को जीवन-दान नहीं दोगे, तब तक मुझे चैन नहीं आयेगा । जब तुम लाक्षागृह में पाण्डवों की रक्षा कर सकते हो, गजेन्द्र को मगरमच्छ के चंगुल से मुक्त कर सकते हो | प्रहलाद को अग्नि से बचा सकते हो, तो निश्चय ही इन अबोध बच्चों की भी रक्षा कर सकते हो ।
मुझे यह जानकर दुःख हो रहा है कि तुमने मुझे क्यों पता न चलने दिया कि घड़े में बच्चे भी थे । उनकी पत्नी को जब मालूम हुई, तो वह भी उनके साथ क्रन्दन करने लगी । तीन दिन तक वे दोनों इस प्रकार विलाप करते रहे और भगवान् का स्मरण करते रहे । आबाँ बुझने पर जब उन्होंने घड़ा बाहर निकाला, तो उन्हें यह देख आश्चर्य हुआ कि जिस घड़े में वे बच्चे थे, उसे तनिक भी आँच नहीं पहुँची थी । अन्य कुम्हारों ने भी जान लिया कि यह भगवान् की कृपा का फल है ।prerak-prasang-in-hindi-6
राँका की पत्नी ने पति को बताया कि भगवान् ने उसकी मनौती स्वीकार की है और इसी कारण बच्चे जीवित रहे । मनौती के बार में राँकस द्वारा पूछे जाने पर वह बोली कि उसने मनौती की थी कि यदि बच्चे जीवित निकलेंगे, तो वह अपनी सारी चीजें ब्राह्मणों को लुटा देगी । तब तो तुम्हारी मनौती का ही फल है – यह कहकर राँका ने अपनी सारी चीजों को ब्राह्मणों को देकर भिक्षा द्वारा जीवन बसर करना शुरू किया ।
इसलिए इस लघु कहानी में कहा गया है कि जाको राखे साइयाँ मार सके ना कोय, बाल बांका ना कर सके जो जग बैरी होय । जो भक्त भगवान पर भरोसा रखते हैं उनपे ईश्वर की असीम कृपा बरसती है व सारे सद्कर्म अच्छे से होते हें । prerak-prasang-in-hindi-6