साधुता
एक लघु कहानी
आज जिस प्रेरक प्रसंग prerak-prasang-hindi की बात कर रहें । वह है ‘‘साधुता’’ ।
कुरू देश की रानी बड़ी दुष्टा प्रकृति की थी । जब उसे पता चला कि बुद्धदेव उसके प्रदेश में आ रहे हैं तो उसे नौकरों-चाकरों को आज्ञा दी कि वह उनका अनादर करें । बुद्धदेव ने नगर प्रवेश करते ही लोगों ने उन्हें चोर, मूर्ख, गधा आदि शब्दों से सम्बोधन करना शुरू किया, पर बुद्धदेव शांत ही रहे । आखिर उनके प्रिय शिष्य आनंद से न रहा गया वह उनसे बोला भन्ते हमें यहां से चले जाना चाहिए । prerak-prasang-hindi
बुद्धदेव ने पूछा कहां जाना चाहते हो ।
आनन्द ने उत्तर दिया किसी दूसरे नगर में जहां कोई हमें अपशब्द न कहें ।
बुद्धदेव और वहां भी यदि कोई दुर्व्यवहार करे तो ।
आनंद किसी और स्थान को चले जाएंगे ।
बुद्धदेव नहीं जहां दुर्व्यवहार हो रहा हो उस स्थान को तब तक नहीं छोड़ना चाहिए जब तक वहां शांति स्थापित नहीं हो । क्या तुमने यह नहीं देखा कि मेरा व्यवहार संग्राम में बढ़ते हुए हाथी की तरह होता है जिस प्रकार हाथी चारों और के तीरों को सहता रहता है उसी तरह हमें दुष्ट पुरुषों के अपशब्दों को सहन करते रहना चाहिए । prerak-prasang-hindi