परीक्षा
एक लघु कहानी
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एक बार गुरू नानक मुलतान शहर पहुँचे । वहाँ के पीरों-फकीरों ने उनकी परीक्षा लेनी चाही कि यह व्यक्ति कोई देवपुरूष है या ढोंगी ? उस शहर में करामाती पीरों-फकीरों और पहुँचे हुए लोगों का जमघट था । उन्होनें नानकदेव के पास दूध से लबालब भरा एक कटोरा भेजा । इसका अभिप्राय यह है कि जिस प्रकार इस भरे कटोरे में । और एक बूँद दूध के लिए जगह नहीं, उसी प्रकार मुलतान शहर में पीरों-फकीरों का इतना आधिक्य है । कि यहाँ तुम्हारे लिए जगह नहीं ।prerak-prasang-aaj-ka-vichar-5
नानकदेव ने अभिप्राय समझ लिया । उन्होंने उस गिलास में दो बताशे डाल दिये और ऊपर से एक गुलाब का फूल भी रख दिया । इसका अभिप्राय यह था कि बताशे अपने माधुर्य से जिस प्रकार दूध को मीठा कर देते हैं । तथा फूल के रहते हुए भी दूध बिगड़ नहीं रहा है, बल्कि उससे सुगन्ध निस्सरित हो रही है । उसी प्रकार मेरे यहाँ आने से आपको कोई हानि नहीं पहुंचेगी, उलटे सत्संग और ज्ञान का लाभ ही होगा । यह देख वे पीर-फकीर जान गये कि यह व्यक्ति कोई साधारण नहीं, बल्कि पहुँचा हुआ है । उन लोगों के मुख से सहसा उद्गार निकल पड़े, ‘‘आप सचमुच औलिया (सिद्ध पुरूष) हैं ! आइये, हम आपका स्वागत करते हैं ।’’ और उन्होंने नानकदेव के साथ सत्संग किया ।
इसीलिए सिद्ध माहात्मा व विद्यवान लोग कहा करते हैं । किसी को जाने पहचाने बगैर उसके बारें कोई धारणा नहीं बनानी चाहिये । prerak-prasang-aaj-ka-vichar-5